आज आपको केन्या के मसाईमारा जंगल की यात्रा पर ले चलते हैं। यात्रा की प्लानिंग से लेकर भ्रमण का अनुभवजनित वर्णन करते हैं। केन्या के मसाईमारा जंगल में घूमने का मजा तभी है जब या तो आप अपने परिवार के साथ जाएं या फिर यायावर टाइप के दोस्तों के साथ। वैसे दोस्तों के साथ घूमने का मजा ही कुछ और है।
केन्या जाने की तैयारी में बाकी इंतजाम के साथ येलो फीवर का टीका लगवाना अनिवार्य है। इसके बिना आपको वीजा नहीं मिलेगा। केन्या की राजधानी नैरोबी के लिए एयर इंडिया की फ्लाइट ज्यादा अनुकूल है। हां, डॉलर का इंतेजाम पहले ही कर लेना ठीक है, एयरपोर्ट पर थोड़ा महंगा पड़ सकता है।
ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय उड़ान में विमान 36 हजार फिट से अधिक की उंचाई पर ही उड़ता है जहां से नीचे जमीन या समुद्रतल को देखना संभव नहीं हो पाता। दिखता है तो अनंत आकाश और तैरते बादल जो लगातार अपना आकार लगातार बदलते रहते हैं, कभी रूई के फाए जैसे तो कभी बर्फ मंडित पहाड़ की ऊंची चोटी जैसे।
केन्या और भारत के समय में ढ़ाई घंटे का अंतर है। भारत का समय केन्या से 2 घंटा 30 मिनट आगे है। लगभग 7 घंटे 15 मिनट की उड़ान के बाद एयर इंडिया की फ्लाइट केन्या की घड़ी के अनुसार 6:30 पर नैरोबी उतर जाती है। इमिग्रेशन काउंटर से औपचारिकताएं पूरी कर बाहर अपने होटल या गेस्ट हाउस कुछ ही मिनटों में पहुंच सकते हैं। वहीं लोकल फ़ोन सिम भी मिल जाती है।
नैरोबी शहर समुद्र तल से 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यहां का मौसम बहुत सुहाना है। नौरोबी की आबादी लगभग 15 लाख है, जिसमें एक लाख से अधिक भारतीय हैं। नैरोबी में घूमने का पहला गंतव्य एलेमेंटैटा (Elementaita) झील है। घूमने के लिए वहां लैंड क्रूजर का ज्यादातर उपयोग होता है।
नैरोबी शहर पहाड़ी पर बसा होने के बावजूद दोनों तरफ बने मकान दर्शनीय हैं। नगर तथा बाहरी क्षेत्र में सफाई व स्वच्छता स्पष्ट दिखाई देती है। सड़क पर वाहन अपनी लेन में अनुशासित चलते हैं। शायद ही कहीं पुलिस दिखाई देती है। सड़क के किनारे जंगल है जिसमें नुकीली पत्तियों वाले वृक्ष हैं, कहीं सुरई, कहीं चीड़, कहीं अन्य पेड़ दिखते हैं। एक स्थान पर बहुत नीचे बड़ा मैदानी भाग दिखता है, जिसे रिफ्ट कहते हैं। रिफ्ट भौगोलिक शब्द है।
कहा जाता है कि अफ्रीका की जमीन भौगोलिक बनावट के कारण नीचे से धीरे-धीरे खिसक रही है, उसे ही रिफ्ट कहा जाता है। मोज़ाम्बिक से लेकर इजरायल तक लगभग 7000 किमी लम्बी भूमि इस रिफ्ट का हिस्सा है। कहा जा रहा है कि इसके कारण करोड़ों साल बाद अफ्रीका दो भागों में बंट जाएगा। आगे कंटीले बबूल व कैक्टस जैसे पौधे अधिक मिलते हैं जिनमें बबून बंदरों का झुंड तथा कुछ जेब्रा समूह रहते हैं।
जंगल सफारी के रास्ते में सेन्ट्रिम रिसार्ट है, जो एलेमेंटैटा झील के किनारे स्थित है। झील में फ्लेमिंगो तथा लम्बी चोंच वाली चिड़ियां भी दिखती हैं। वहीं पास में नवासा झील है, जिसमें नौकायान का मज़ा है। यह झील विस्तृत एवं गहरी है, इसमें मछलियों के अलावा दरियाई घोड़ा (हिप्पोपोटेमस) का भी निवास है। झील के किनारे हिरन तथा जेब्रा के झुंड भी देखे जा सकते हैं। मछलियों का शिकार करते किंगफिशर एवं ईगल व अन्य पक्षी भी यहां होते हैं।
नैरोबी से लगभग 250 किमी दूर मसाईमारा जंगल है, जहां पूरे विश्व से लोग एनिमल सफारी का रोमांच अनुभव करने आते हैं। दरअसल मसाई गांव का नाम है और इसे जंगल का प्रवेश द्वार भी कह सकते हैं। यहां कुछ टिन शेड वाले घर हैं, जो यहां की मसाई जनजाति के हैं। कुछ छोटी कटीली झाड़ियों और छोटे-छोटे पेड़ों को पार करने के बाद बड़े बड़े घास के मैदान दिख जायेंगे, जिनमें गायों, भेड़ों व बकरियां के झुंड मिलेंगे। गाय, भेड़, बकरियां हमारे यहां जैसी ही हैं। मसाई जनजाति गरीब गौ पालक है जो गाय के बड़े झुंड को घास चराते हैं और बड़े बाड़ों मे उन्हें रखते हैं। यह क्षेत्र गरीब तथा पिछड़ा है, यद्यपि मसाईमारा जंगल के पर्यटन से सरकार को काफी आय हो रही है।
जंगल में अंदर घुसने पर जंगली जानवरों का दिखना शुरू हो जाता है। जंगली भैंसे, ग़ज़ल, बड़ा हिरन तथा सुअर के झुंड के बाद बरसाती नाले में बैठे दरियाई घोड़े भी दिख जायेंगे। आगे चलने पर शुतुरमुर्ग भी दौड़ लगाते मिल जायेंगे। जंगल के बीच हवाई पट्टी भी है, जहाँ से गुजरते हुए विमान हमेशा दिखाई देंगे। सभी विमान छोटे तथा डार्नियर किस्म के होते है। मसाईमारा क्षेत्र में कुछ और छोटी विमान पट्टियां हैं जिन पर छोटे विमानों से पर्यटक आते रहते हैं।
जंगल सफारी का असली रोमांच शाम को आता है। जंगल में खुली गाड़ियों में घूमने निकलते हैं, तभी तो जानवरों को पास से देखने का आनद आएगा। जेब्रा, बड़ा हिरन, जंगली सुअर तो तमाम दिख जाते हैं पर नाले के किनारे झाड़ियों में आराम करते पैंथर आपके लिए सरप्राइज होते हैं। दूर खड़े हाथियों को देखने का रोमांच ही कुछ अलग है।
जंगल इतना विशाल है कि सभी जानवरों के लिए पर्याप्त जगह है। घास के बीच लेटे शेर-शेरनी को मात्र 12 फुट दूर से देखने का सौभाग्य मिल जाता है। आप फोटो खींचते रहिए वे अलसाये से पड़े रहते हैं। अफ्रीका के शेरों का आकार गिर के शेरों से बड़ा व शानदार हैं। मसाई मारा में जो सबसे अद्भुत दृश्य दिखाई देता है वह अफ्रीकन जंगली भैंसों का झुण्ड जो हज़ारों की संख्या में एकसाथ चलते हैं।
रात बिताने के लिए जंगल में ही स्विस कॉटेज बने हुए हैं। वहां रुकने वालों को रात में हिप्पो, शेर, भेड़िया और अन्य जानवरों की आवाजें साफ़ सुनाई देती है। फिर आता है वह पल जिसके लिए लोग मसाईमारा जाते हैं यानि विल्डबीस्ट का वह अभूतपूर्व पलायन जो तंजानिया के सेरंगिटी जंगल से केन्या के मसाईमारा जंगल व मसाईमारा से सेरंगिटी जंगल के बीच होता है और जिसपर सैकड़ों फिल्में बन चुकी है।