जनरल असीम बाजवा को सूचना सलाहकार बनाकर भेजा
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान क्या पीएम के रूप मे अब कुछ दिन के मेहमान रह गए हैं?, क्या आर्मी धीरे-धीरे इमरान के पर कतरने में लगी है? हाल की घटनाओं से लगता है कि प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान की पारी कभी भी खत्म हो सकती है । सोमवार , 27 अप्रैल को इमरान सरकार में दो बड़े बदलाव हुए । एक तो नए सूचना मंत्री के रूप में शिबली फराज को नियुक्त किया गया और पूर्व डीजी आईएसपीआर लेफ्टिनेंट सीम सलीम बाजवा को प्रधानमंत्री के मीडिया सलाहकार के रूप में भेजा गया। जनरल असीम बाजवा अभी तक सीपैक अथॉरिटी के चेयरमैन के पद पर थे। मालूम हो कि पूर्व डीजी आईएसपीआर सलीम बाजवा मुशर्रफ के जमाने में बेहद सक्रिय और एंटी टेररिस्ट ऑपरेशनके मुख्य कमांडर रह चुके हैं । अफ़गानिस्तान बॉर्डर पर सक्रिय पाकिस्तानी तालिबान के नेटवर्क को तोड़ने और बलूचिस्तान में एंटी पाकिस्तान मूवमेंट को कुचलने में उनकी बहुत बड़ी भूमिका थी। वह तब के पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कयानी के भी बेहद करीबी माने जाते थे। जनरल असीम बाजवा मुशर्रफ पर एक किताब भी लिख चुके हैं।
पाकिस्तान आर्मी के लिए जनरल असीम बाजवा एक बेहद महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं । लेकिन इस समय सीपैक से प्रधानमंत्री कार्यालय में उनकी तैनाती का उद्देश्य कुछ और ही है। माना जा रहा है कि इमरान खान के नेतृत्व से पाकिस्तानी सेना नाखुश है।कोरोना को हैंडल करने के उनके तरीके से पूरे पाकिस्तान में नाराजगी है। लंदन से प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय अखबार द फाइनेंसियल टाइम्स ने 25 अप्रैल के अपने अंक में लिखा है कि इमरान खान पाकिस्तान की सत्ता से किनारे कर दिए गए हैं और एक तरफ से आर्मी ने टेकओवर कर लिया है । फाइनेंसियल टाइम्स ने हेड लाइन दिया था ‘Pakistan’s Imran khan sidelined by military during Corona virus outbreak’ आर्टिकल में अखबार ने लिखा है कि इमरान खान की कमजोर नेतृत्व क्षमता से परेशान होकर मिलिट्री इस्टैब्लिशमेंट ने उनको किनारे लगा दिया है । इस खबर से इमरान खान बेहद परेशान हैं । लंदन स्थित पाकिस्तानी दूतावास ने फाइनेंसियल टाइम्स को एक पत्र लिखकर इस आर्टिकल पर एतराज जताया है और कहां है कि इस लेख में जो तथ्य दिए गए हैं वे सत्य से परे हैं । इमरान खान पाकिस्तान को फ्रंट से लीड कर रहे हैं और कोरोना से लड़ने के लिए आवाम के साथ-साथ सभी इदारों को साथ लेकर चल रहे हैं।
सच तो यह है कि इमरान खान इस समय ना सिर्फ कोरोना वायरस के खतरे के प्रति अपने ढीले रवैए के कारण देश में आलोचना के केंद्र बने हुए हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनके बयानों को लेकर पाकिस्तान कि मजाक बनाया जा रहा है ।सबसे पहले इमरान खान ने यह कहा कि पाकिस्तान में लॉकडाउन की जरूरत नहीं है , क्योंकि पाकिस्तान में 25% लोग भुखमरी के शिकार हैं । उन्हें खाने को नहीं मिला देश में खाने के लिए युद्ध शुरू हो जाएगा । लेकिन जब सिंध और पंजाब ने आगे बढ़कर अपने-अपने सूबों में लॉकडाउन किया तो अगले दिन ही डीजीआईएस पी आर ने पूरे पाकिस्तान में लॉकडाउन की घोषणा कर दी। इमरान की इसमें भारी फजीहत हुई। माना गया कि यह इमरान खान का फैसला नहीं है , लॉकडाउन का फैसला आर्मी ने किया है।
इमराना उसके बाद भी लगातार लॉकडाउन से नुकसान की बात करते रहे और पाकिस्तान में करोना फैलता गया । इस बीच पाकिस्तान में मस्जिदों को खोलने का फैसला किया गया और यह माना गया कि इमरान खान की शह पर या उनकी सलाह पर पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने वहां के उलेमाओं के साथ मिलकर 20 सूत्री कार्यक्रम बनाया और सारी मस्जिदें खोल दी। हद तो तब हो गई जब एक कार्यक्रम में इमरान खान ने कहा कि उनका देश आजाद है जो अपनी मस्जिद को खोलने का फैसला ले सकता है । जब लोगों ने यह पूछा कि काबा की मस्जिद में बंद है ,तुर्की ईरान , इराक की मस्जिदें बंद है तो क्या पाकिस्तान ही सबसे ज्यादा इस्लाम परस्त है तो भी इमरान खान टस से मस नहीं हुए और बेवजह की बातें करते रहे ।
इमरान खान डाक्टरों की सुनने के बजाय वहां के एक मौलवियों की सुन रहे हैं । इमराना के करीबी मौलवी तारिक जमील ने उनके लिए दुआ पढते पढते पूरी कौम को उनके सामने ही झूठा कह दिया । कोरोना के लिए पाकिस्तानी महिलाओं को जिम्मेदार बता दिया और मीडिया को मक्कार कह दिया । मौलवी के इस बर्ताव को लेकर पाकिस्तान में लगातार बहस हो रही है ।
इन सबको देखते हुए आर्मी को लगा कि इमरान खान पर नकेल कसने की सख्त जरूरत है । इमरान खान अगर इसी तरह से बोलते रहे तो देश में ही नहीं पूरे विश्व में पाकिस्तान की जग हसाई सहो जाएगी । इसलिए आर्मी ने अपने पूर्व डीजी आईएसपीआर को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री का मीडिया सलाहकार बनाकर भेजा ताकि इमरान के बोलने पर अंकुश लग सके। पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हारून रशीद का भी मानना है कि आर्मी के इस दखल के बाद इमरान के दिन बहुत कम रह गए हैं । उन्होंने अगस्त से लेकर अक्टूबर तक का समय दिया जब इमरान खान की सरकारा से विदाई हो जाएगी। हारून रशीद ने एक पाकिस्तानी चैनल के प्रोग्राम में दावा किया कि मानना लगभग 25 सांसद जिसको पाकिस्तान में एमएनए कहा जाता है, तहरीक ए इंसाफ से समर्थन वापस ले लेंगे और संभव है कि देश में नेशनल गवर्नमेंट बने । इस हिसाब से पाकिस्तान में लोग यह मानते है कि इमरान खान में देश को नेतृत्व देने की क्षमता नहीं है । लगातार कैबिनेट में परिवर्तन भी यह बताता है कि पाकिस्तान में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।