संयुक्त राष्ट्र संघ के सेके्रट्री जेनरल गुटेरेस चार दिनों के दौरे पर पाकिस्तान आए थे। वे वहां अफगान रिफ्यूजी पर आयोजित सेमिनार में भाग लेने आए थे लेकिन जिस तरह से उन्होंने खुलेआम पाकिस्तान के प्रति अपने प्रेम का इजहार किया और यूएनओ चार्टर के खुले उल्लंघन करने वाले पाकिस्तान का एंबेसडर बनते नजर आए उससे उन सवालों को ही बल मिलता है जो उनकी नियुक्ति के समय उठाए गए थे और अब संयुक्त राष्ट्र के सेके्रट्री जेनरल के रूप में लिए गए उनके फैसले पर भी उठाए जा रहे हैं।
गुटेरेस को एक तरफ अध्ययनशील, स्कालर व मानवतावादी माना जाता है वहीं दूसरी तरफ उन्हें जिद्दी, दकियानुस और महिला विरोधी भी कहा जाता है।
उनकी नियुक्ति पर उठे थे सवाल
एंटोनियो गुटेरेस की यूएनओ सेके्रट्री जेनरल के रूप में नियुक्ति पर गंभीर सवाल खड़े किए गए थे। यह कहा गया था कि गुटेरेस की नियुक्ति लोकतांत्रिक तरीके से नहीं हुई। दि कनर्वेशसन डॉट कॉम ने लिखा – पुर्तगाल के पूर्व प्रधान मंत्री और कई साल तक शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त एंटोनियो गुटेरेस को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 13 राजदूतों ने समर्थन किया और शेष दो तटस्थ रहे। निश्चित रूप से 193 संयुक्त राष्ट्र सदस्य राज्यों की कोई राय नहीं ली गई। यह एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं थी – बल्कि संयुक्त राष्ट्र के मुख्य निकायों के सबसे शक्तिशाली और कम से कम पारदर्शिता रखने वाले कुछ देशों की सहमति पर यह हुआ।
टाइम डॉट कॉम का कहना था कि जिस तरह से हम दुनियाके मुख्य राजनयिक को चुनते हैं वह प्रकिया पूरी तरह दोषपूर्ण है। सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य (चीन, फ्रांस, रूस, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका) किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढते हैं जिसे वे सभी के साथ रह सकते हैं। अगर कोई एक भी उम्मीदवार को ना कहता है, तो उम्मीदवार बाहर है।
महिला विरोधी हैं एंटोनियो गुटेरेस?
समाजवादी विचार धारा के प्रबल समर्थक एंटोनियो गुटेरेस को लोग दकियानुस और महिला विरोधी भी मानते हैं। ब्लॉग एक्टिव लिखता है- गुटेरेस का महिलाओं के अधिकारों के मामले में बहुत खराब रिकॉर्ड है। पुर्तगाली पीएम रहते हुए, उन्होंने संसद में गर्भपात को वैध ठहराने के वाले विधेयक को गिराने के लिए सदन को मजबूर कर दिया। उन्होंने एक वोट के लिए सक्रिय रूप से प्रचार किया। आप नहीं जानते होंगे, लेकिन गुटेरेस वास्तव में एक कानून के पक्ष में थे, जिसके तहत गर्भपात करने वाली पुर्तगाली महिलाओं को जेल भेज दिया था! पुर्तगाली महिलाओं को अपने शरीर पर निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र होने में लगभग 10 साल लग गए।
ब्लॉग एक्टिव ने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या हम वास्तव में एक ऐसा संयुक्त राष्ट्र महासचिव चाहते हैं जो समलैंगिकता को मानसिक बीमारी मानता है औार महिलाओं को गर्भपात कराने के लिए जेल भेजना चाहता है। होमोफोबिक और महिला विरोधी अधिकार का हिमायत करने वाला व्यक्ति संयुक्त राष्ट्र महासचिव नहीं हो सकता है।
दूसरे देशों के बारे में गैर जरूरी टिप्पणी
यह माना जाता है कि संयुक्त राष्ट्र किसी भी देश के आतंरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करता। खासकर राजनीतिक हालात पर कोई भी व्यक्तिगत टिप्पणी वांछित नहीं होती। लेकिन गुटेरेस इससे परहेज नहीं करते। उन्होंने ऐसी ही एक टिप्पणी अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बारे में की जिसमें उन्होंने कहा कि ट्रंप के शासन में अमरीका की इज्जत काफी घटी है। दि एटलांटिक डॉट कॉम ने 2018 में गुटेरेस को उद्धृत करते हुए लिखा-“संयुक्त राज्य अमेरिका आज व्यापार व कई अन्य स्थितियों के कई संघर्षों में शामिल है- इसका मतलब है कि अमेरिकी समाज का आकर्षण पहले से कम हो रहा है। “गुटेरेस ने कहा।
मानवाधिकार पर चुप्पी के आरोप?
पूर्व यूएन अधिकारी व बोस्निया और जॉर्डन के पूर्व राजदूत जैद राद अल-हुसैन के अनुसार, चीन से सऊदी अरब और संयुक्त राज्य अमेरिका तक, अपने पहले तीन वर्षों के दौरान मानवाधिकार के उल्लंघन के मामले परं सार्वजनिक निंदा करने के मामले में गुटेरेस ने चुप रहने की कूटनीति को चुना है। चीन में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सामूहिक हिरासत और सरकार द्वारा राजनीतिक व सैन्य विरोधियों की हत्या जैसे मुद्दे शामिल हैं।
शरणार्थियों के मामले के संयुक्त राष्ट्र के सहायक एंड्रयू गिल्मर ने भी कहा है कि गुटेरेस के तहत काम करने वाला संयुक्त राष्ट्र सचिवालय ने चार्टर में निहित मुख्य मूल्यों को लागू करने के मुद्दे पर आत्मसमर्पण कर दिया है।
संयुक्त राष्ट्र संघ विश्व का एक ऐसा संगठन है जिसका मुख्य काम सदस्य देशों के बीच उपजे मसले को सुलझाना है। यूएनओ के जो चार्टर हैं उनमें – अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव के महत्वपूर्ण प्रावधान, सुरक्षा परिषद के विवादों की जांच और मध्यस्थता, आर्थिक, राजनयिक और सैन्य प्रतिबंधों को अधिकृत करने के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक व विवादों को हल करने के लिए सैन्य बल का उपयोग, आर्थिक और सामाजिक सहयोग के लिए प्रयास, अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय और संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की शक्तियों की स्थापना और दुनिया भर में मानवाधिकार की रक्षा के लिए लगातार प्रयास प्रमुख हैं।
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