कांग्रेस से पूछा क्या नेहरू भी भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते थे
संविधान की दुहाई देते हुए मोदी ने कहा सीएए से किसी भी भारतीय को नुकसान नहीं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज लोकसभा में अपने उन विरोधियों को करारा जवाब दिया जो नागरिक संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं और इस कानून को संविधान के विरुद्ध बता रहे हैं। शाहीन बाग माडल पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि कांग्रेस और उसके इकोसिस्टम वाले दलों का यह कारनामा दे श के लिए और उनके लिए भी घातक सिद्ध हो सकता है। मोदी ने कांग्रेस को कठघरे में करते हुए कहा कि स्वयं पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने कई मौकों पर सीएए जैसे कानून की वकालत की थी। नेहरू ने स्पष्ट रूप से कहा था कि पाकिस्तान में रह रहे वहां के पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने के लिए आवश्यकता है तो कानून बनाना ही पड़ेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वह भी उसी भावना से काम कर रहे हैं ताकि पाकिस्तान में प्रताडित हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों को यहां की नागरिकता मिल सके।
प्रधानमंत्री ने संविधान के प्रति पूरी आस्था और विश्वास दिलाते हुए कहा कि देश समझ ले कि सीएए से भारत के किसी भी नागरिक का कोई नुकसान नहीं होने वाला। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान लगातार भारत के मुसलमानों को बरगलाने,भड़काने में लगा रहता है। जो लोग यहां भारत में मुसलमानों को गुमराह कर उन्हें आंदोलित रहने की साजिश कर रहे हैं, दरअसल वे पाकिस्तान का ही काम कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक के बाद एक कई ऐसे उदाहरण पेश किए जिनसे यह स्पष्ट होता है कि आजादी के बाद से ही पाकिस्तान में हिंदुओं का उत्पीड़न शुरू हो गया था। मोदी ने स्वंतत्रता सेनानी और कांग्रेस के नेता भूपेन्द्र कुमार दत्ता का जिक्र करते हुए कहा कि दत्ता आजादी के संघर्ष में 23 साल तक जेल में रहे 78 दिन तक भूख हड़ताल की। जब विभाजन हुआ तो वह पाकिस्तान में ही रूक गए। उन्हें वहां संविधान सभा का सदस्य भी बनाया गया। पाकिस्तान की संविधान सभा में उन्होंने यह भाषण दिया कि पाकिस्तान में रह रहे हिंदुओं को समाप्त किया जा रहा है। वहां हिंदू विरोधी अभियान से आजिज आ कर दत्ता भारत चले आए और उन्होंने भारत की धरती पर ही अपना प्राण त्यागा। मोदी ने ऐसे ही एक दलित नेता जोगिन्दर नाथ मंडल की चर्चा की, उन्हें भी पाकिस्तान में हिंदुओं के उत्पीड़न के कारण भारत में शरण लेना पड़ा और उन्होंने भी अपनी जिंदगी के अंतिम दिन भारत में ही बिताए।
मोदी ने कांग्रेस को यह याद दिलाया कि किस तरह प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी तत्कालीन असम के मुख्यमंत्री गोपीनाथ को पत्र लिखकर कहा कि आप पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों और मुसलमानों के बीच फर्क को समझे। हिंदू यहां शरणार्थी के रूप में आए हैं और उन्हें हमें नागरिकता देनी ही पड़ेगी। यहीं नहीं भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली के साथ जो 5 नवंबर 1950 को समझौता हुआ उसमें भी यही लिखा था कि वहां के अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पाकिस्तान करेगा। यही नहीं एक ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान हस्तक्षेप करते हुए भी जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि पूर्वी पाकिस्तान में बसे हिंदुओं पर वहां की सरकार जबर्दस्त दबाव बना रही है। प्रधानमंत्री ने कांग्रेस के सांसदों से पूछा कि क्या नेहरू भी सांप्रदायिक थे, क्या वे भी भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर से लेकर असम और अर्थव्यवस्था से लेकर सीएए पर उठाए गए सभी सवालों का भरपूर जवाब दिया। उन्होंने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा दिए गए उस बयान पर क्रोध व्यक्त करते हुए कहा कि वे अगले छह महीने में योग अभ्यास के जरिए कोशिश करेंगे कि उनकी पीठ डंडा खाने लायक बन जाए। उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने हाल ही में कहा था कि नौजवान पीएम को डंडे से मारेंगे।