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विदेशी नागरिकता रखने वाले इमरान के कैबिनेट सलाहकारों पर बवाल

पाकिस्तान की कैबिनेट में विदेशी नागरिकता रखने वाले सलाहकारों का बोलबाला है। लेकिन अब उनकी दोहरी नागरिकता के खुलासे के बाद पाकिस्तान की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया है। विपक्षी पार्टियाँ फौरन ऐसे कैबिनेट सलाहकारों को प्रधानमंत्री कार्यालय से बाहर करने की मांग कर रही हैं।

इमरान खान ने काबिलियत के नाम पर कम से कम आधा दर्जन ऐसे सलाहकारों को अपने कैबिनेट के साथ जोड़ रखा है जिनका इसके पहले पाकिस्तान की राजनीति में कोई योगदान नहीं था, और जो सत्ता में बैठकर बड़े बड़े फैसले करवा रहे हैं। 18 जुलाई को पाकिस्तान की सरकार ने ऐसे 15 लोगों का नाम सार्वजनिक किया, जिनमें 7 ऐसे सलाहकार हैं जिन्होंने दोहरी नागरिकता ले रखी है। उनका मूल व्यवसाय पाकिस्तान से बाहर है और अरबों-खरबों के कारोबार से जुड़े हुए हैं। कुछ पर तो भ्रष्टाचार के भी आरोप लग रहे हैं।


स्पेशल असिसटेंट टू प्राइम मिनिस्टर के पद पर बैठे इन लोगों में सैयद ज़ुल्फ़िकार बुख़ारी, नदीम अफजल गोंडल, नदीम बाबर, मोईद वसीम युसूफ, तानिया अदरूस और शहजाद सैयद कासिम का नाम शामिल है। ये तमाम हजरात इमरान खान को शिक्षा से लेकर सुरक्षा तक के मामलों में सलाह देने के लिए रखे गए हैं।


इमरान खान के राजनीतिक सलाहकार शहबाज गिल अमेरिका के ग्रीन कार्ड होल्डर हैं तो बुख़ारी ब्रिटेन के नागरिक हैं। बाबर और कासिम ने भी अमेरिका की नागरिकता ले रखी है। मैडम अदरूस जन्म से कनाडा की नागरिक हैं और उन्होंने सिंगापुर की भी नागरिकता ले रखी है। गोंडल भी कनाडा के स्थाई नागरिक हैं। युसूफ के पास भी अमेरिका की नागरिकता है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि ये सभी अच्छे खासे बिजनेसमैन है। जिनके पास करोड़ों की संपत्तियां भी हैं। इन सलाहकारों में सबसे अमीर पेट्रोलियम डिवीजन के सलाहकार v बाबर हैं जिनका अमेरिका के ह्यूस्टन में मकान समेत कुल 275 करोड़ रूपये का निजी नेटवर्थ है। वह पेट्रोलियम मामले में प्रधानमंत्री इमरान को सलाह देते हैं और पाकिस्तान में आए दिन पेट्रोलियम की किल्लत बनी रहती है। वहां तेल माफिया का जबर्दस्त राज है।

इमरान खान प्रधानमंत्री बनने के पहले खूब कहा करते थे कि स्पेशल सलाहकार के नाम पर पाकिस्तान में लूट होती है लेकिन अब वे ही सबसे ज्यादा सलाहकारों को नियुक्त कर के बैठे हैं। पाकिस्तान में विपक्षी पार्टियाँ, नून लीग और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने इस मामले को लेकर सरकार के खिलाफ एक संयुक्त अभियान चलाने का कार्यक्रम बनाया है। आम आदमी और पाकिस्तान का मीडिया भी इन सलाहकारों की नियुक्ति और इनकी मनमानी पर सवाल खड़े कर रहा है।

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