IIW TEAM , 1 June, 2020
पाकिस्तान ने फिर से आतंकवादियों का राज लौट आया है। पुराने दिनों की तरह सड़कों पर खून बहने लगे हैं। ईद के दिन ही नकाबपोश आतंकवादियों ने नार्थ वजिरिस्तान के मीर अली में कुछ लोगों को गोलियों से भून दिया। मरने वालों में इस्लामाबाद के एक सीनियर ब्यूरोक्रेट भी थे, जो ईद की छुट्टियों में अपने घर गए थे। पिछले महीने इसी शहर में पांच लोग और मार दिए गए थे। साउथ वजिरिस्तान में 2 मई को पश्तून तहफुज मुवमेंट, (पीटीएम) के नेता आरिफ वजीर की हत्या कर दी गई थी।
पाकिस्तान के अखबार डॉन ने यह अंदेशा जताया है कि कहीं यहां फिर से तो खून खराबे का दौर तो नहीं हो आ गया। सुरक्षाकर्मियों पर भी अब लगातार हमले हो रहे हैं। केवल अप्रैल में ही नार्थ वजिरिस्तान में 10 सुरक्षाकर्मियों को शहीद कर दिया गया। अब तो इस्लामाबाद में भी आतंकवादी सरेआम हमले करने लगे हैं। पिछले हफ्ते वहां दो पुलिसकर्मियों को गोली मार कर हलाक कर दिया गया। मई में ही पाकिस्तान-इरान बोर्डर पर भी पाकिस्तान के छह सैनिकों को बारूद से उड़ा दिया गया था।
डॉन के अनुसार तहरीक ए तालिबान ऑफ़ पाकिस्तान (टीटीपी) फिर से सर उठाने लगा हैं। इमरान सरकार को यह चेतावनी मिल रही थी कि वजिरिस्तान में टीटीपी फिर से अपने पांव जमाने में लगा है। पिछले दिनों हुए हमले इसके गवाह हैं। ईद के दिन हुई हत्या के बाद वजिरिस्तान के युवकों ने जिरगा का आयोजन किया था और इसमें सीधे इमरान सरकार पर यह आरोप लगाया था कि वफाकी सरकार जर्ब-ए-अज्ब में किए गए वायदे को पूरा नहीं कर रही है इसलिए आतंकवाद की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। जर्ब-ए-अज्ब पाकिस्तान द्वारा वजिरिस्तान में तालिबानियों को खत्म करने का सबसे बड़ा मिलिट्री आपरेशन था जिसे मुशर्रफ के काल में चलाया गया था।
डॉन का कहना है कि पाकिस्तान के हुक्मरानों की शिथिलता और मामले की गंभीरता को नजरंदाज करने के कारण वजिरिस्तान के युवा अब तेजी से आतंकवाद की तरफ बढ़ रहे हैं। पाकिस्तान की सरकार ना तो बलोचिस्तान में शांति का कोई प्रयास कर रही है और ना वजिरिस्तान में।
——————————————————————–