IIW TEAM, 31 May,2020
हांगकांग को लेकर चीन और अमेरिका के बीच शुरू हुआ टकराव अब यूएनओ में पहुंच गया है और खबर यह भी है कि शुक्रवार को यूएनओ सिक्योरिटी कांउसिल ने इस पर प्रारंभिक चर्चा भी कर ली है। समाचार एजेंसी रायटर के अनुसार हांगकांग की स्वायत्ता खत्म करने के चीन के प्रयास के खिलाफ यूएनओ में अकेले अमेरिका नहीं गया है, बल्कि उसके साथ ब्रिटेन, कनाडा और आस्ट्रेलया भी हैं । चीन द्वारा हांगकांग में ने शनल सिक्योरिटी लॉ लाए जाने के प्रस्ताव के बाद से ही ये चारों दे श चीन के लिए बेहद गंभीर स्थिति पैदा किए हुए हैं।
एक संयुक्त वक्तव्य में इन चारों बड़े देशों ने कहा है कि चूंकि चीन द्वारा हांगकांग में उन सभी स्वायत्त अधिकारों का हनन किया जा रहा है , जिनके बने रहने की शर्त के साथ ही ब्रिटेन ने 1997 में हांगकांग को चीन के हवाले किया था। यूएनओ द्वारा इस मुद्दे पर प्रारंभिक चर्चा के बाद चीन पूरी तरह बिफर गया है। उसने इन सभी देशों के साथ औपचारिक विरोध जताया है।
हांगकांग का मुद्दा यूएन सिक्योरिटी काउंसिल में ले जाने का मतलब चीन के लिए खतरे की घंटी है। सिक्योरिटी काउंसिल चाहे तो बहुमत के आधार पर चीन पर कई तरह के प्रतिबंध भी लगा सकता है। यह बात चीन जानता है। यह प्रतिबंध आर्थिक भी हो सकता है और सामरिक भी। चूंकि अमेरिका का यूएनओ पर जबर्दस्त प्रभाव है और उसके साथ तीन और बड़े देश भी हैं तो ऐसे में चीन का पसीना छूटना लाजिमी है। यूएन ह्यूमन राइट्स इसके पहले कई बार हांगकांग के लोकतंत्र समर्थकों पर चीन की कार्रवाई की आलोचना कर चुका है।
चीन ने कहा है कि वह तमाम देशों से आग्रह करना चाहता है कि वे उसकी स्वतंत्रता और स्वायत्ता का सम्मान करें। हांगकांग में प्रस्तावित कानून उसका आंतरिक मामला है और उसमें कोई दखल न दे। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ ने अमेरिका को धमकी भरे लहजे में यह भी कहा है कि ट्रंप प्रशासन बेतुकी राजनीतिक हथकंडा ना अपनाए।
लेकिन चीन की समस्या यहीं तक नहीं है। उधर ब्रिटेन ने भी हांगकांग के मामले में चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उसने हांगकांग में रह रहे ब्रिटिश पासपोर्ट धारकों को, जिसे ब्रिटिश नेशनल्स ओवरसीज यानी बीएनओ कहा जाता है, बिना किसी वीसा के ब्रिटेन में 12 महीने तक रहने काम करने या पढ़ाई लिखाई करने की इजाजत देने का फैसला किया है। हांगकांग में बीएनओ की संख्या तीन लाख से अधिक है। ब्रिटेन ने 1997 में हांगकांग को चीन के हवाले करने से पहले इन सभी को अपना पासपोर्ट जारी किया था।
ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमिनिक रैब ने अपने बयान में कहा है कि उनका देश बीएनओ को और अधिकार देने पर विचार कर रहा है। यदि चीन नेशनल सिक्योरिटी लॉ वापस नहीं लेता तो तीन लाख बीएनओ हांगकांग छोड़ भी सकते हैं। इससे हांगकांग की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंच सकता है, क्योंकि वे केवल नागरिक नहीं है वे हाईनेटवर्थ वाले इंडिविजुल भी है और हांगकांग की अर्थव्यवस्था चलाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका भी है।
अमेरिका पहले ही कह चुका है कि हांगकांग में नेशनल सिक्योरिटी लॉ के लागू होने से पहले वह उन तमाम सहुलियतों और हांगकांग को दिए स्पेशल स्टेट्स उठा लेगा। इससे हांगकांग की अर्थव्यवस्था चरमरा भी सकती है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पम्पियो ने तो यह ऐलान भी कर दिया है कि उनके देश ने हांगकांग को दिए स्पेशल स्टेट्स को खत्म कर दिया है, क्योंकि चीन 1997 की शर्तों को अब मान नहीं रहा है।
हांगकांग को लेकर चीन पर इस समय जबर्दस्त दबाव है। देखना है कि चीन इस दबाव से उबर पाता है या दबाव के कारण घुटने टेकता है।