भारत के खिलाफ ओआईसी के एक अलग ग्रुप बनाने की पाक की कोशिश नाकाम
भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करने की पाकिस्तान की एक और नापाक कोशिश एक बार फिर नाकाम हो गई। पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर आर्गेनाईजेशन ऑफ़ इस्लामिक कोऑपरेशन (ओआईसी) का एक अलग अनौपचारिक ग्रुप बनाने की कोशिश कर रहा था जिसे संयुक्त अरब अमीरात एवं मालदीव ने पूरी तरह विफल कर दिया। पाकिस्तान इसे इस्लामोफोबिया के खिलाफ ग्रुप का नाम देना चाहता था। उसका मुख्य मकसद आतंकवादियों के खिलाफ कश्मीर में भारत की कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच पर इस्लाम के खिलाफत का रंग देना था।
पाकिस्तान ने यूएन ओ के मंच का इस्तेमाल अपने गंदे विचार को आगे बढ़ाने के लिए उस समय भी करने का प्रयास किया जब यूएनओ ने ओआईसी के देशों के साथ ईद के मौके पर एक अनौपचारिक वर्चुअल कांफेरेंस का आयोजन किया था.
यूएनओ में पाकिस्तान के स्थाई प्रतिनिधि मुनीर अकरम ने इसको अंजाम पर पहुंचाने की भरपूर कोशिश की। उसने अपनी तकरीर में कहा कि भारत अपनी सैन्य शक्ति का उपयोग कर कश्मीर के मुसलमानों पर जुल्म ढ़ा रहा है। मुनीर अकरम ने वर्चुअल कांफ्रेंस के जरिए ओआईसी के सदस्य देशों को यह बरगलाने का प्रयास किया कि भारत के खिलाफ एक मजबूत ग्रुप यूएनओ में बनाकर उसे इस्लाम के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका जा सकता है। लेकिन मालदीव और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने पाकिस्तान के इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।
मुनीर अकरम ने यह दलील दी कि भारत में इस्लाम सुरक्षित नहीं है। उसने औपचारिक वीडियो कांफ्रेंस में हाल ही में जम्मू कश्मीर में लागू किए गए रेजिडेंट कानून का हवाला दिया और यह समझाने की कोशिश की कि दरअसल इस कानून के जरिए भारत जम्मू कश्मीर की बहुसंख्यक मुस्लिम आबादी को अल्पसंख्यक में बदलने जा रहा है।
लेकिन यूएनओ में मालदीव की स्थाई प्रतिनिधि थिलमिजा हुसैन ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। उन्होंने साफ कहा कि नई दिल्ली पर इस्लामीफोबिया के लिए उंगुली उठाने का मतलब है दक्षिण एशिया में धार्मिक सद्भाव को खत्म करना। मालदीव की प्रतिनिधि ने यह भी कहा कि भारत को इस्लाम के खिलाफ कहना बुनियादी रूप से गलत विचार है।
यूएई, जो कि यूएनओ के वर्चुअल मीटिंग की अध्यक्षता कर रहा था, उसने भी पाकिस्तान को टका सा जवाब दिया।
यूनएओ में यूएई के स्थाई प्रतिनिधि लाना नुस्सेबेह ने पाकिस्तान के कहा कि पाकिस्तान द्वारा पेश प्रस्ताव पर यूनओ में ओआईसी ग्रुप नहीं बना सकता। यूएई प्रतिनिधि ने पाकिस्तान से स्पष्ट रूप से कहा कि इस प्रस्ताव पर विचार करने का उपयुक्त मंच ओआईसी के विदेश मंत्रियों का फोरम है।
पाकिस्तान के इस प्रस्ताव के गिरने से वहां के हुक्मरान बहुत मायूस हैं और अपनी खीज निकाल रहे हैं। मंगलवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने ट्वीट किया
@SMQureshiPTI Pakistan has consistently appealed to@UN& @OIC_OCI to condemn Modi’s Hindutva supremacist ideology with relentless Islamophobia & violence/regional instability perpetuated. We also welcome @antonioguterres agreement on need to counter Islamophobia & OIC-IPHRC’s earlier censure.
जाहिर है पकिस्तान की यह कोशिश नाकाम इसलिए हुई कि वह अपना एजेंडा ओआईसी के कंधे पर चढ़कर यूएनओ में आगे बढ़ाना चाहता है। जबकि ओआईसी के कई सदस्य भारत की नीतियों व सर्वधर्म समभाव के दर्शन को जानते हैं।