टिकटाक ने कुछ समय तक भारत में लोगों को नचाया अब खुद नाच रहा है। जोमैटो ने चीनी इनवेस्टमेंट के जरिए हमारे घरों में पैठ बना ली थी अब वह चीन से तौबा करने लगा है। चीनी मोबाइल कंपनी शाओमी अपने बोर्ड पर लिखने लगी है ‘मेड इन इंडिया’। जो लोग कह रहे थे, भारत द्वारा चीनी कंपनियों पर बैन लगाना प्रैक्टिकल नहीं है, उन लोगों की आंखें अब खुलनी चाहिए। दुनिया के साथ चीन को भी कहना पड़ेगा डान्ट अंडरइस्टीमेट पावर आफ काॅमन इंडियन।
भारत में सबसे ज्यादा चलने वाले ऐप टिकटाॅक ने यह बयान दिया है कि चीन ने कभी भी उसके यूजर्स की जानकारी नहीं मांगी और चीन की सरकार मांगती भी तो वह नहीं देते। टिकटाॅक ने खुद को बीजिंग की नीतियों से दूर रहने का दावा किया है। लेकिन अब हम जान गए हैं कि चीन का कितना विश्वास करना है। जिनपिंग की तरह चीन की ऐप कंपनियां भी मार्केट कब्जे की होड़ में हैं और हर चाल आजमाना चाहती हैं।
मोबाइल ऐप की संख्या 90 लाख से अधिक है और चीन अकेले 40 प्रतिशत मोबाइल ऐप पर पैसा लगा रहा है। रिस्क आईक्यू नाम की संस्था मोबाइल ऐप की जानकारी रखती है। उसके अनुसार एप्पल स्टोर पर 4लाख से अधिक, गुगल प्ले स्टोर पर 7 लाख से अधिक, एन्डरोवायड ऐप्स एपीके पर 8 लाख से अधिक तो एपी केपी यूरेको पर लगभग 9 लाख मोबाइल एप्स हैं। लेकिन सबसे अधिक मोबाइल ऐप्स एपी केजी के पर हैं ,जिनकी संख्या 17 लाख है।
ये आकड़े 2019 के हैं। इसका मतलब हैं कि इस बीच हजारों मोबाइल ऐप और बन गए होंगे। बहुत कम लोग जानते होंगे कि अंतिम के तीन मोबाइल ऐप स्टोर चीन के हैं , जिनपर इस समय लगभग 40 लाख मोबाइल ऐप मौजूद हैं। यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐप के मार्केट में छा जाने के लिए चीन किस तरह खुद को तैयार कर रहा है।
ऐप इन चाइना ब्लाॅग के अनुसार चीन के अपने 400 से अधिक ऐप प्ले स्टोर हैं, जिसे टेक्नीकल स्पोर्ट टेनसेंट, अलीबाबा, क्वीहू और बैडू जैसी टेक कंपनिया उपलब्ध कराती हैं और जिन्हें हुवै, शाओमी ,ओपो , वीवो, जैसी कंपनियों के मोबाइल सेट व नेटवर्क के जरिए बाजार में भेजा जाता है।
चाइना मोबाइल और चाइना टेलीकाॅम का 80 प्रतिशत से अधिक एन्डरोवायड ऐप्स पर कब्जा है।
चीन यह काम यूं ही नहीं कर रहा है। रिस्क आईक्यू के अनुसार 2019 में 200 अरब ऐप्स डाउनलोड किए गए जिस पर 120 अरब डाॅलर लोगों ने खर्च किए। ऐप इन चाइना ब्लाॅग के अनुसार इसमें से चीन ने 40 अरब डाॅलर की कमाई की।
ना तो गुगल का चीन में प्रवेश है और ना एपल का। इसलिए इन दोनों कंपनियों की चीन की जनता से कोई कमाई नहीं होती। लेकिन चीन की ऐप की कंपनियों को गुगल और एपल दोनों से ही अच्छी खासी कमाई होती है। क्योंकि कोई भी ऐप जो महत्वपूर्ण फीचर रखता है उसे गुगल और आईओएस ऐप स्टोर पर चढ़ा देते है। गुगल अमेरिकी कपंनी है तो आईओएस चीनी।
बाजार में उतरने वाले सभी ऐप अच्छी क्वालिटी के नहीं होते। कुछ तो लो क्वालिटी में कूकीज कटर होते हैं, या लो कोड या नो कोड पर आधारित होते हैं। इसलिए उनकी आयु भी अधिक नहीं होती।लेकिन उनकी भूमिका चीन के ऐप की गिनती बढ़ाने में जरूर होती है। हाल ही में गूगल ने अपने प्ले स्टोर से काफी संख्या में चीनी ऐप को हटा दिया इनका काम लोगों के साथ फ्राॅड करने का था। सुरक्षित ऐप के मामले में गुगल से भी अच्छा रिकार्ड एप्पल का है, जिसपर कोई भी नया ऐप बिना अच्छी तरह जांच परख के लोड नहीं होता। रिस्क आईक्यू के अनुसार चाइनीज गेम ऐप स्टोर 9गेम डाॅट काॅम पर 61 हजार ऐप ऐसे हैं जो ब्लैकलिस्टेड हैं। इसी तरह चाइनीज मोबाइल कंपनी शाओमी को भी खतरनाक प्लेस्टोर के रूप में रिपोर्ट किया गया है।
भारत ने चीन को सबक सिखाने के लिए उसके 59 ऐप बंद कर दिए तो चीन के बिजनेस की सांसे भी बंद होने लगी। क्योंकि चीन की विस्तारवादी नीति की तरह चाइनीज ऐप भी बाजार पर कब्जे के इरादे से काम कर रही हैं और उस पर पहला आघात भारत ने किया है।