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भारत के यूएनएससी मेंबर बनने पर छाती पीट रहा है पाकिस्तान

Special Report (IIW)

भारत यूनाइटेड नेशंस सिक्यूरिटी काउंसिल का नाॅन परमानेंट मेंबर बन गया है। भारत को यह सदस्यता दो साल के लिए मिली है। भारत को मिले इस सम्मान से पाकिस्तान पूरी तरह जल भुन गया है और पाकिस्तान के पॉलिटिशियन्स  इस मुद्दे पर आपस में ही भिड़ गए हैं।

भारत का यूनएससी का अस्थाई सदस्य बनना एक बहुत बडी उपलब्धि है। सिक्योरिटी काउंसिल के स्थाई सदस्य की तरह अस्थाई सदस्य के पास वीटो पावर नहीं है, लेकिन विश्व शांति एवं सुरक्षा के लिए जो चार्टर यूनएससी के लिए बने हैं, उस पर अमल के लिए बैठकों में भाग लेने या बैठक बुलाने, कमेटी या सबकमेटी में सदस्यों को चुनने, किसी आकस्मिक स्थिति को हैंडिल करने में अपनी भूमिका निभाने और सदस्य देशों के साथ निरंतर संपर्क में रहने का अवसर मिलता है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि भारत को चीन के साथ सिक्योरिटी काउंसिल में बैठने का अवसर मिलेगा और उसकी मनमानी के खिलाफ राय बनाने का भी मौका मिलेगा।

पाकिस्तानी केवल इसलिए छाती नहीं पीट रहे कि भारत यूएनएससी का मेंबर बन गया है, बल्कि वे ज्यादा इसलिए चीख रहे हैं कि भारत को 193 सदस्यों में से 184 सदस्यों को वोट कैसे मिल गए । पाकिस्तान को सबसे ज्यादा मिर्ची इस बात की लग गई है कि 57 देशों वाले ओआईसी (आर्गेनाइजेशन आफ इस्लामिक कंट्रीज) के लगभग सभी सदस्यों के वोट भारत को कैसे मिल गए

पाकिस्तान भी ओआईसी का मेंबर है, उसने घोषित तौर पर भारत को वोट नहीं दिया और ना भारत को मेंबर

बनने पर औपचारिक तौर पर  बधाई ही दी। हालांकि यूएनएससी के सदस्य चुने जाने के लिए सीक्रेट वोटिंग होती है, लेकिन भारत को 193 में से 184 वोट मिलने का मतलब है कि पाकिस्तान के विरोध का कोई असर यूनाइटेड नेशंस में नहीं है।
पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय अपनी खीज मिटाने के लिए एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाकर अपनी घरेलू राजनीति को कुछ हद संबोधित करने की कोशिश  की है, लेकिन इमरान सरकार की ही मंत्री शिरीन मजारी ने विदेश मंत्रालय की धज्जियां उड़ा दी। उन्होंने ट्वीट कर बड़बोेले विदेश मंत्री से पूछा जब अफ्रीका में यूएनएससी के अस्थाई मेंबर के लिए प्रतिस्पर्धा हो सकती थी कि भारत को सर्वसम्मति से क्यों चुनने दिया गया। मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान जानना चाहता है कि यूएनएससी के अस्थाई मेंबर के लिए भारत के नामांकन पर चुप्पी क्यों साधी गई। सबसे बड़ी बात तो यह कि भारत को इतना समर्थन कैसे मिला! इसके पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैसी पर भी पाकिस्तानी मीडिया ने सवाल उठाया था। तब उन्होंने कहा था कि भारत के यूएनएससी के अस्थाई मेंबर बनने से कोई आसमान नहीं टूट पड़ा। इस पर तंज कसते हुए मंत्री शिरीन मजारी ने कहा कि बात यह नहीं है कि कौन सा आसमान टूट पड़ा, मसला तो यह है कि उस भारत को सर्वसम्मति से इतने वोट के साथ क्यों यूएनएससी का मेंबर बनने दिया गया, जो रोज ही पाकिस्तान पर गोलाबारी करता है और कश्मीर पर ‘जुल्म’ करता है। किसी तरह से मैडम मजारी ने यह कह कर अपने को सांत्वना दी कि भारत की उम्मीदवारी 2013 में तय हो गई थी और उस समय पाकिस्तान में पिपुल्स पार्टी की सरकार थी।
लेकिन पाकिस्तान की मीडिया ने यह रिपोर्ट छाप कर पाकिस्तानी नेताओं की सुलगा दी कि भले ही 2013 में भारत के उम्मीदवारी की घोषणा की गई थी लेकिन भारत की उम्मीदवारी को कोई चुनौती नहीं दी जाएगी इसका फैसला तो पाकिस्तान ने 2019 में किया था तब तो इमरान खान और पीटीआई की सरकार थी।
अब अपनी झेंप मिटाने के लिए पाकिस्तान का विदेश मंत्रालय अपने पुराने प्रोपोगांडा को आगे बढ़ाने का फैसला किया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता आइशा फारूकी ने कहा कि उनका देश यूएनओ में यह बताएगा कि भारत यूएनएससी का मेंबर बनने लायक नहीं है, क्योंकि वह अपने देश में मानवाधिकार का खुला उल्लंघन करता है । मैडम जी यह काम तो पाकिस्तान 1950 से ही करता आ रहा है।

 

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