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भारत के बजट से पाकिस्तान को चिंता

पाकिस्तान ने इस बात पर चिंता जताई है कि भारत में मंदी के बावजूद मोदी सरकार ने रक्षा बजट में अच्छा खासा बढ़ोतरी की है। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार पाक ट्रिब्यून ने अपनी एक खबर में लिखा है- ‘‘भारत ने शनिवार को पेश किए गए  बजट में  अपने सैन्य खर्च को लगभग 6 प्रतिशत बढ़ा दिया। जबकि आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि  2008 की वैश्विक वित्तीय संकट के बाद एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत ने सबसे धीमा विकास दर  दर्ज किया है। ’’अखबार आगे लिखता है नई दिल्ली की भाजपा सरकार  गिरती रोजगार, खपत और निवेश में कमी के साथ इस दशक सबसे खराब मंदी से जूझ रही है।

पाकिस्तान के अखबार ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के इस बयान का भी उल्लेख किया है जिसमें उन्होंने बजट भाषण के दौरान कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा मोदी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। बजट दस्तावेजों का उल्लेख करते हुए पाकिस्तान अखबार लिखता है कि पिछले वर्ष जहां 44.744 अरब डाॅलर सैन्य बजट था वहीं 2020-21 क बजट में इसे बढा़कर 47.418 अरब डाॅलर कर दिया गया है। जिसमें नए हथियार सिस्टम खरीदने के लिए 15.58 अरब डाॅलर भी शामिल है। भारत ने वर्ष 2020-21 के बजट में रक्षा बजट के लिए 3.37 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। जो कि पिछले वर्ष के मुकाबले 5.8 प्रतिशत अधिक है। पाकिस्तान का पिछला रक्षा बजट केवल 11.4 अरब डाॅलर का था।

बजट में सबसे ज्यादा तरजीह वायु सेना को दी गई है। वायु सेना के लिए बजट में 6 अरब डाॅलर प्रावधान किया गया है। उल्लेनीय है कि भारतीय वायु सेना को राफेल फाइटर जेट्स, अपाचे और चिनूक हेलीकाप्टरों जैसे बड़े सौदों के लिए ज्यादा धन चाहिए। बजट में थल सेना के लिए 4.557 अरब डाॅलर और नौसेना को 3.755 बिलियन डॉलर मिले। भारतीय नौसेना को अपने बेड़े को मौजूदा 130 युद्धपोतों को बढ़कार 2027 तक 175 युद्धपोतों  तक विस्तार देना है। लगभग 50 युद्धपोत देश के अंदर और बाहर शिपयार्ड में निर्माणाधीन हैं।

भारत द्वारा बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद से ही पाकिस्तान लगातर भारत की रक्षा तैयारियों पर नजर रखे हुए है। पाकिस्तान को इस बात का डर सता रहा है कि यदि भविष्य में यदि उसके यहां से प्रायोजित आतंकवाद की घटनाएं नहीं रूकती तो भारत फिर से पाकिस्तान पर हमला कर सकता है। भारत के मुकाबले पाकिस्तान अपनी सैन्य तैयारियों पर खर्च करने की स्थिति में नहीं है। पाकिस्तान इस बड़ी आर्थिक त्रासदी से गुजर रहा है। वहां महंगाई की दर 15 फीसदी तक पहुंच गई है और इमरान के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज 40 फीसदी और बढ़ गया है। ऐसे में वह भारत के किसी भी रक्षा तैयारी पर शोर मचाने के अलावा कुछ नहीं कर सकता।

 

 

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