IIW(TEAM)12 JUNE, 2020
विफलता को छिपाने के लिए नेपाल सरकार भारत के साथ नक्शा विवाद को हवा दे रही
नेपाल की जनता इन दिनों सड़क पर है। कारण है ,वहां कोरोना से लड़ने में सरकार की अक्षमता और जनता को परेशानी में डालकर प्रधानमंत्री ओली द्वारा भारत के साथ जानबूझ कर विवाद पैदा कर घरेलू मोर्चों पर विफलता को छिपाने की कोशिश करना ।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के खिलाफ लोगों में किस कदर नाराजगी है कि लोग तुरंत प्रधानमंत्री से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। हालांकि लॉकडाउन में थोड़ी ढील दी गई है, लेकिन जनता सरकार के खिलाफ सड़कों पर पूरी तरह उतर गई है।
ओली सरकार के खिलाफ जनता इतने गुस्से में है कि प्रदर्शन के दौरान प्रधानमंत्री निवास का ही घेराव कर दिया था। प्रदर्शकारियों को हटाने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। प्रदर्शनकारियों पर पानी की बौछार भी की गई।
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि कोरोना वायरस से निपटने में अपनी विफलता को छिपाने के लिए नेपाल सरकार भारत के साथ नक्शा विवाद को हवा दे रही है। काठमांडू की सड़कों पर खासकर यह विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। सड़क पर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि सरकार लॉकडाउन के दौरान भारत विरोधी राष्ट्रवाद को हवा दे रही है, ताकि लोगों का ध्यान समस्याओं पर कम जाए।
नेपाली जनता यह भी कह रही है कि भारत से बातचीत की बजाए नक्शा विवाद को संसद से पारित कराने में जुटी ओली सरकार अपनी डूबती सरकार को बचाने के लिए कर रही है, जबकि भारत से कभी भी बातचीत की जा सकती है। कोरोना वायरस से निपटने में विफल ओली सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोगों ने जमकर नारे लगाए- अक्षम प्रधानमंत्री पद छोड़ो।
लोगों का कहना है कि ओली के कारण ही राजनीतिक कटुता इतनी आ गई है कि यूपी के मुख्यमंत्री ने इस सुझाव पर कि नेपाल एक बार चीन के पिछलग्गू बनने से पहले तिब्बत का देख ले, नेपाल के प्रधानमंत्री ने इस बयान को अपमान करार दिया। मुख्यमंत्री योगी ने यह बयान दिया था कि नेपाल को तिब्बत जैसी गलती नहीं करनी चाहिए।
भारत की स्थिति पहले दिन से साफ है। यदि नेपाल सरकार ने संविधान संशोधन के जरिए भारतीय हिस्से को अपने नक्शे में दिखाया तो उसे स्वीकार नहीं किया जाएगा।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव का कहना है कि नेपाल के साथ भारत अपने पुराने संबंधों पर कायम है और हर स्तर पर बातचीत कर मामले को सुलझाने का भी प्रयास चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत पहले की तरह नेपाल के साथ मित्रवत व्यवहार बनाए हुए है। कोविड 19 के इस महामारी के समय भारत ने दवाएं और अन्य जरूरी चीजें नेपाल को उपलब्ध कराया है।
आज भले ही नेपाल की कम्यूनिस्ट सरकार भारत के साथ अपने संबधों को अहमियत ना दे। लेकिन सच्चाई है कि आज भी नेपाल और भारत एक दूसरे के पूरक हैं। भले ही ये दो देश हैं, लेकिन दोनों की आत्मा एक ही है। दोनों देश अपने उद्भव के समय से ही एक ही संस्कृति और सभ्यता से बंधे हैं। परंतु पिछले कुछ वर्षों से नेपाल के माओवादी इस प्राचीन संबधों को ताक पर रख कर भारत के साथ दुराव फैला रहे हैं। ताजा प्रयास नेपाल में संविधान संशोधन के जरिए भारतीय हिस्से को अपने नक्शे को वहां के संसद से पास कराकर एक बेवजह विवाद खड़ा करना है। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली अपनी कुर्सी बचाने के लिए नेपाल की संस्कृति पर ही दांव लगा रहे हैं।
नेपाल अपने नए मानचित्र में लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र में दिखाकर भारत से उसे वापस करने की मांग कर रहा है। इसके लिए प्रस्ताव पेश किया जा चुका है। प्रस्तावित विधेयक में संविधान की तीसरी अनुसूची में शामिल नेपाल के राजनीतिक मानचित्र में बदलाव का प्रस्ताव है। संविधान में संशोधन के लिए संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत है। चूंकि मामला नेपाल के संविधान से जुड़ा है, और भारत के साथ बदलते रिश्ते को नए ढंग से नेपाल की सरकार प्रस्तुत कर वहां के नागरिकों को भी भारत के खिलाफ खड़ा करने के प्रयास में है, लिहाजा ना चाहते हुए भी नेपाल के मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस ने विधेयक का समर्थन करने का निर्णय किया है। मधेस समर्थक दलों ने भी अभी इस पर चुप्पी साध रखी है।
इसके पहले नेपाल ने तब अचानक अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण लिपुलेख दर्रे को धारचूला से जोड़ने वाले 80 किलोमीटर लंबे मार्ग का 8 मई को उद्घाटन किया था।
नेपाल में प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने इसे नेपाल का अतिक्रमण करार कर नए नक्शे को राष्ट्रवाद से जोड़कर समर्थन हासिल करने की मुहिम चलाई है, जबकि भारत अब भी पहले की तरह नेपाल के लोगों की सहायता कर रहा है। कोरोना ने बचाव के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने नेपाल को भी लगभग 23 टन जरूरी दवाएं भेजी है, जिसके लिए नेपाल के प्रधानमंत्रर ओली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद कहा है।