हसीना सरकार के हाथ पांव फूले
कोरोना वायरस तो मजहब देख रहा है ना किसी देश की सीमा। वह हर जगह फैलता ही जा रहा है । गरीब देशों के लिए तो कोरोना महामारी से कहीं अधिक खतरनाक है। बांग्लादेश इसका उदाहरण है। वहां लगभग 22000 लोग संक्रमित हो चुके हैं , लेकिन कोरोना से मरने वालों की संख्या 300 के नीचे ही है। हालांकि या खबरें बराबर आ रही हैं कि बांग्लादेश के अस्पतालों में कोरोना मरीजों को दाखिला ही नहीं मिल रही है ।
इस बीच कोरोनावायरस दक्षिणी बांग्लादेश के इलाके में बसे रोहिंग्या शरणार्थियों के कैंप तक पहुंच गया है। यह बांग्लादेश के लिए या एक बड़ा अलार्म की तरह है, क्योंकि म्यामार की सैनिक कार्रवाई के डर से भागे रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश में कॉक्स बाजार के आसपास कैंप डाल कर दे रहे हैं और उनकी संख्या 10 लाख से अधिक है। ना तो उनके रहने की पर्याप्त जगह है ना ही शौच आदि की उचित व्यवस्था।
हालांकि वहां 300 से अधिक एनजीओ और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां काम कर रही हैं लेकिन डर यह है कि यदि रोहिंग्या शरणार्थियों में कोरोना का संक्रमण एक दूसरे से फैला तो वहां जलजला सा जाएगा।
ढाका ट्रिब्यून में छपी खबर के अनुसार बांग्लादेश के हेल्थ ऑफिसर्स ने भी यह आशंका जाहिर की है कि यदि रोहिंग्या शरणार्थी क्मयूनिटी संक्रमण के शिकार होते हैं तो बांग्लादेश में 1 करोड़ से अधिक लोग कोरोना पॉजिटिव हो सकते हैं । यह एक बड़ी त्रासदी की तरह होगी।
रोहिंग्या कैंप के आसपास कोरोना टेस्ट पॉजिटिव पाए गए लोगों पर हमेशा नजर रखना बांग्लादेश सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है । एक दूसरे से एकदम सट के रह रहे रोहिंग्याओ को अलग अलग रखना सरकार के लिए स॔भव ही नहीं है।
मुसीबत तो यह है कि कोरोनटाइन में रखे गए रोहिंग्या सेंटर से भाग जा रहे हैं । जिन्हें पुलिस पकड़ने की कोशिश में लगी रहती है ।