हांगकांग में भी डर का माहौल
IIW TEAM, 4 JUNE,2020
हांगकांग में भी इन दिनों लगातार चीन के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। चीन के 31 साल पुराने व्यवहार को देखकर लोग यह आशंका जता रहे हैं कि कहीं हांगकांग में भी प्रदर्शन को कुचलने के लिए चीन पुराने हिंसक तेवर फिर न अपना ले। इस आशंका का कारण यह है कि चीन ने हांगकांग बॉर्डर पर सेना की भारी तैनाती की है और चीन का नेतृत्व इस बात पर अड़ा है कि बीजिंग की सत्ता को चुनौती देने वाले के लिए नेशनल सिक्योरिटी लाॅ लेकर आएंगे और लोकतंत्र समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यइ बयान जारी किया है कि अगर तियानमेन स्क्वायर नरसंहार जैसा दमनचक्र चीन ने हांगकांग में अपनाया चीन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
बीजिंग के तियानमेन स्कावयर कांड को 31 साल हो गए, लेकिन चीन की सरकार ने इस पर कभी भी अफसोस नहीं जताया। बल्कि आज भी चीन की सरकार दुनिया में कहीं भी इस तियानमेन स्कावयर की सच्चाई या रेफरेंस पर बात नहीं होने देती। चीन की नई पीढ़ी आज भी तियानमेन की सच्चाई अन्य देशों के अखबारों या रिसर्च जनरल से प्राप्त करती है।
चीन 4 जून 1979 को हुई इस मिलिट्री कार्रवाई में सिर्फ 300 मौतों का ही जिक्र करता है ,जबकि ब्रिटि श जनरल 10 हजार लोगों के मारे जाने की बात कहता है।
चीन के क्रांतिकारी नेता माओत्से तुंग की सितंबर 1976 में मृत्यु के बाद चीन में एक तरह से अफरा तफरी मच गई थी। धीरे धीरे वहां अराजकता फैलने लगी थी। चीन के लोगों की सबसे बड़ी चिंता यह थी कि एक राजनीतिक पार्टी सिस्टम को चीन में कानूनी जामा पहनाया जा रहा था। यानी वहां तानाशाही स्थापित हो रही थी और इसको लेकर चीन की जनता में आक्रो श फैलने लगा था। फिर शुरू हुआ सरकार के विरोध का सिलसिला। आम लोगों के साथ छात्रों ने भी आंदोलन में हिस्सा लेना चालू किया।
इस बीच अप्रैल 1989 रू चीन में लोकतांत्रिक मूल्यों को लेकर काम करने वाले नेता हू याओबांग की मौत हो गई। छात्र उनको श्रद्धांजलि देने के लिए तियानमेन स्कावयर पर पहुंचने वाले थे। पहले तो कुछ छात्र भूख हड़ताल पर बैठे ,लेकिन बाद में श्रद्धांजलि सभा लोकतंत्र की मांग के जुलूस में बदल गई। 19 मई 1989 रू तियानमेन स्क्वायर पर लोकतंत्र समर्थकों ने एक विशाल रैली का आयोजन किया। कहा जाता है कि इस रैली में लगभग 10 लाख लोग शामिल हुए।
चीन की सरकार को इसमें खतरा नजर आया और तब के प्रमुख ली पेंग ने मार्शल लॉ लागू कर दिया। उसके बावजूद 4 जून 1989 से पहले तियानमेन स्क्वायर पर एक लाख से ज्यादा प्रदर्शनकारी जमा थे।.
दुनिया से लोकतंत्र समर्थकों का यह आंदोलन छुपा रहे या चीन के अंदर कोई और विद्रोह ना हो इसके लिए चीन ने तत्काल मीडिया पर इसके प्रसारण की पाबंदी लगा दी। सबसे पहले अमेरिकी समाचार प्रसारण को बैन किया गया। फोटो खींचने या वीडिया बनाने पर भी रोक लगा दी गई। लेकिन लोकतंत्र समर्थकों का जोश कम नहीं हुआ। प्रदर्शनकारियों के समर्थन में गायक हाउ डेजियन भी उतर आए और उन्होंने वहां लाइव कॉंसर्ट किया।
दुनिया इस बात से अनजान थी कि चीन के शासकों के मन में कोई खूनी विचार खौल रहा है। फिर वह हुआ जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। 4 जून 1989 को आधी रात के बाद चीनी सेना ने तियानमेन स्क्वायर पर गोलीबारी शुरू कर दी। नागरिकों और छात्रों के खून से पूरा तियानमेन स्वायर रंग गया। लेकिन अभी यह इंतेहा नहीं थी। 5 जून 1989 को टैंकमैन वाकया हुआ, जब एक प्रदर्शनकारी टैंकों को रोकता हुआ अकेला टैंकों के सामने खड़ा हो गया। जिसे टैक ने कुचल दिया।
चीन यहीं नहीं रूका । लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अवाज उठाने वालों की गिरफ्तारियां की। उन्हें सालों जेल में रखा गया। सजाएं दी गईं। जो प्रदर्शनकारी चीन छोड़कर भाग गए थे उन्हें फिर देश में लौटने नहीं दिया गया। इस घटना के बाद दुनिया भर ने चीन का बहिष्कार किया पर चीन में फिर कभी लोकतंत्र की आवाज नहीं लौटी। चीन आज भी नहीं मानता कि उसने तियानमेन स्क्वायर पर सैन्य कार्रवाई कर कोई गलती की। बल्कि चीनी शासक यह दावा करते हैं कि सरकार की कार्रवाई की वजह से ही चीन में स्थिरता आई और विकास हुआ।
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