क्या इमरान सरकार गिर जाएगी ?
पाकिस्तान एक तरफ कोरोना के कारण कई समस्याओं से जूझ रहा है, वहीं दूसरी तरफ चीनी और गेहूं एक्सपोर्ट सब्सिडी घोटाले को लेकर वहां भारी राजनीतिक संकट उत्पन्न हो गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के बेहद करीबी रहे बड़े उद्योगपति एवं राजनेता ही अब इमरान सरकार को गिराने के फिराक में लग गए हैं। उनमें सबसे प्रमुख नाम जहांगीर तरीन का है, जो पाकिस्तान के सबसे बड़े चीनी उत्पादक है और उन्हें इमरान खान का एटीएम कहा जाता है । अब वही जहांगीर तरीन खुलेआम कहते घूम रहे हैं कि उन्होंने ही इमरान खान को फ़र्श से अर्श पर बिठाने में मदद की और इमरान खान उनके खिलाफ षडयंत्र में साथ दे रहे हैं । जहांगीर तरीन ने टीवी चैनल पर बैठ कर यह कहा है कि प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव आजम खान उनकी खिलाफत कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इमरान सरकार ने अक्टूबर 2018 में चीनी एक्सपोर्ट के कैबिनेट के फैसले के बाद घरेलू बाजार में चीनी की कीमत एक दम से बढाने में माफियाओं की भूमिका की जांच के लिए एक कमीशन का गठन किया था, जिसकी आर॔भिक रिपोर्ट आ गई है। यह कमीशन अपनी फ़ोरेंसिक रिपोर्ट 24 अप्रेल को देगी, जिसके आधार पर कथित माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई होनी है। अब इमरान खान दोहरे दबाव में हैं। यदि वह रिपोर्ट के अनुसार कारवाई करते हैं तो उनकों समर्थन देने वाली बेहद मजबूत पोलिटिकल व इंडस्ट्रीयल लांबी उनके खिलाफ हो जाएगी और उसका सीधा असर सरकार की स्थिरता पर आएगी । यही नहीं उन्हें अपनी ही पार्टी की पंजाब सरकार के खिलाफ भी कार्रवाई करनी पडेगी, क्योंकि मुख्यमंत्री बुजदार पर ही सबसे ज्यादा सब्सिडी बांटने का आरोप लगा है।
अब यदि इमरान कोई कार्रवाई नहीं करते तो उनसे ईमानदारी का वह तमगा छिन जाएगा, जिसकी दुहाई वह बात बात पर देते हैं ।
24 अप्रैल को फॉरेंसिक रिपोर्ट आने के बाद पाकिस्तान में क्या होगा, उस पर अभी से ही तमाम अटकलें लगाई जा रही हैं। मीडिया की खबरों के अनुसार इस मामले में इमरान कैबिनेट में ही भारी अंतर्विरोध है। रेल मंत्री शेख रशीद सरेआम कह चुके हैं कि रिपोर्ट गलत समय में प्रस्तुत की गयी है । एक और मंत्री असद उमर के साथ कुछ मंत्री कैबिनेट की बैठक में उलझ चुके हैं । कैबिनेट मंत्री राजा रियाद खुलकर जहांगीर तरीन की तरफदारी कर रहे हैं। पाकिस्तान के प्रमुख मीडियाकारों व विश्लेषकों का मानना है कि खुद प्रधानमंत्री इस मामले से बच नहीं सकते, क्योंकि तमाम विशेषज्ञ कमेटियों की चीनी एक्सपोर्ट ना करने की सलाह के बावजूद इमरान कैबिनेट ने एक्सपोर्ट को म॔जूरी दी, जिसके कारण पाकिस्तान में चीनी की कमी हुई और उसका फायदा माफिया ने उठाया । 55 रुपये की चीनी 85 रुपये तक बिकी और पाकिस्तानी आवाम की जेब पर अरबों रुपये का डाका डाला गया। चूँकि बिना प्रधानमंत्री की सहमति के कैबिनेट का प्रस्ताव पारित नहीं हो सकता, इसलिए इमरान खान इस घोटाले से अपना दामन बचा नही सकते,
2018 में चीनी के उत्पादन कम होने के बावजूद कैबिनेट से चीनी निर्यात की म॔जूरी ली गयी थी । पाकिस्तानी मीडिया ने यह भी खुलासा किया है कि निर्यात के नाम पर सिर्फ घोटाले किए गए हैं निर्यात तो हुआ ही नहीं। उस समय कथित निर्यात किए जाने वाली चीनी का 70% हिस्सा काबुल को भेजा गया था । यानीें निर्यात के नाम पर सिर्फ कागजी कार्रवाई हुई। चीनी मिल से बाहर निकली ही नहीं, सिर्फ़ सब्सिडी के नाम पर घोटाले किए गए ।
जिस दिन जहांगीर तरीन का नाम इस घोटाले में सबसे ऊपर आया है , उसी दिन उन्होंने न्यूज चैनलों में जाकर बताया कि किस तरह इमरान खान उनके साथ एहसान फरामोशी कर रहे हैं ।उन्होंने ही इमरान खान को प्रधानमंत्री बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई है। जहांगीर तरीन ने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ पार्टी यानीी टीआई को सत्ता में लाने का प्रयास भी उन्हीं के कारण सफल हुआ है । 2013 में जब पीटीआई बुरी तरह चुनाव हार गई थी वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इमरान खान के पास जाकर बताया था कि जब तक राजनीतिक खानदान नहीं जोड़ते तब तक पीटीआई हुकूमत में नहीं आ सकती। तरीन ने यह भी दावा किया कि जब इमरान खान ने पाकिस्तान के भीतर राजनीतिक अभियान शुरू करने के लिए कंटेनर मार्च शुरू किया था तब उन्होंने ही 50 लाख देकर मदद की थी ।
तरीन अब खुलेआम कह रहे हैं कि इमरान खान के साथ उनका ताल्लुक पहले जैसा नहीं है । इमरान से उनकी दूरी बढ़ाने में उनके प्रमुख सचिव आजम खान का हाथ है। पाकिस्तान के मीडिया की खबरों को माने तो जहांगीर तरीन के साथ 15 से अधिक सांसदों और मंत्रियों का समर्थन प्राप्त है, जो किसी हद तक जा सकते हैं, सरकार अस्थिर करने की हद तक ।