बलोचिस्तान की बेटी की मौत के पीछे गहरी साजिश
बलोचिस्तान की बेटी करीमा कनाडा के टोरंटो शहर में कत्ल कर दी गई। उसका शव टोरंटो की सड़क पर पाया गया। करीमा 20 तारीख से ही लापता थी, जिसकी सूचना टोरंटो पुलिस को थी, लेकिन अफसोस पुलिस उसे जिंदा प्राप्त नहीं कर पाई। करीमा बलोच 2015 से ही कनाडा में रह रही थी। पाकिस्तान द्वारा उसे एक टेररिस्ट घोषित किए जाने के बाद उसने 2015 में कनाडा में शरण लिया था। करीमा का इस तरह से कत्ल किया जाना, जहां कनाडा के उपर एक दाग की तरह देखा जा रहा है, वहीं पाकिस्तान के आईएसआई की बुरी तरह आलोचना की जा रही है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान की सेना, आईएसआई और इमरान की सरकार करीमा को खत्म करने पर तुले थे। कारण था बलोचिस्तान मंे पाकिस्तान आर्मी द्वारा जारी बर्बरियत से दुनिया को आगाह करने की करीमा की मुहिम और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बलोचिस्तान को आजाद करने की उसकी मांग।
करीमा की मौत को सामान्य मौत करार देने में अभी से ही पाकिस्तान जुट गया है। अभी तक उसकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है, लेकिन पाकिस्तान का मीडिया यह दावा करने में जुट गया है कि कनाडा पुलिस को करीमा की मौत के पीछे कोई आपराधिक मामला नहीं लगता। जबकि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कदीमा के कत्ल की भरपूर आलोचना करते हुए मांग की है कि बलोचिस्तान की बेटी की मौत की उच्च स्तरीय जांच की जानी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। करीमा की बहन ने भी उसकी मौत के पीछे गहरी साजिश का अंदेशा जताया है।
करीमा को पाकिस्तान इसलिए खत्म करना चाहता था, क्योंकि बलोचिस्तान में हो रहे मानवाधिकार के खिलाफ सबसे सख्त और मजबूत आवाज बन गई थी। वह बलोचिस्तान में पाकिस्तान आर्मी द्वारा अगवा कर मार दिए गए लोगों के लिए अंतराष्ट्रीय मंच पर आवाज उठाती रही। उसने इस पर एक श्रृंखलाबद्ध कार्यक्रम किया। संयुक्त राष्ट्र संघ में भी उसने बलोचिस्तान की आजादी की आवाज उठाई।
करीमा चीन पाकिस्तान आर्थिक कोरिडोर की भी मुखालिफत कर रही थी। सीपैक के नाम से चल रही इस योजना से बलोचिस्तान को जोड़ने के बजाय पाकिस्तान उससे यहां के लोगों को वंचित करने में लगा है। करीमा ने इसी महीने एक बड़ा प्रोग्राम कर लोगों को जोड़ने की कोशिश की थी कि लोग इस बात का संज्ञान लें कि पाकिस्तान की मिलिट्री और वहां की सरकार स्थानीय लोगों की पहुंच सीपैक से दूर करने के लिए बाड़ें लगा रही हैं।
यों तो हजारों बलोच लोगों को पाकिस्तान की सेना आंतकवाद के नाम पर मार चुकी है, लेकिन करीमा पर सीधा हाथ डालने से पाकिस्तानी शासक डर रहे थे। कारण था कि करीमा एक मजबूत आवाज बन चुकी थी। 2016 में बीबीसी ने उसे 100 दमदार महिलाओं की श्रेणी में शामिल किया था। वह कनाडा से ही लगातार पाकिस्तान को परेशान करने वाले ट्वीट किया करती थी और बलोचों के समर्थन में लोगों को जागरूक करने में लगी थी। उसने 2015 में प्रधानमंत्री मोदी को भी भाई मानते हुए बलोचिस्तान को आजाद करने के निवेदन के साथ एक वीडियो जारी किया था। समय आ गया है कि कनाडा पर इस बात का दबाव बनाया जाए कि उसकी धरती आतंकवादियों के लिए महफूज ना बने और करीमा बलोच के हत्यारों को सजा मिले।