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इमरान ने आवाम को धोखे में रख ग्वादर पोर्ट को 40 साल के लिए चीन के हवाले किया

पाकिस्तान की सरकार ने चुपचाप, बिना अवाम को भरोसा में  लिए ग्वादर पोर्ट को चीन के हवाले बिना किसी रेवेन्यू को सौंप दिया। हाल ही में पेश बजट में यह देखने को मिला कि ग्वादर पोर्ट को हर तरह के करों और शुल्कों से फ्री कर दिया गया है। चीन द्वारा विकसित यह ग्वादर पोर्ट अगले 40 साल तक पाकिस्तान को एक पैसा नहीं देगा।

अब पाकिस्तान सिनेट के वित मामले के पैनल ने इमरान खान की इस करतूत को पकड़ा है और उस पर कमेटी का गठन कर इमरान से चीन के साथ हुए समझौते की डिटेल उपलब्ध कराने को कहा है। पाकिस्तानी सिनेट पैनल का कहना है कि यह गैर आइनी यानी संविधान के खिलाफ है।
मालूम हो कि ग्वादर पोर्ट का निर्माण और संचालन ग्वादर इंटरनेशनल टर्मिनल प्राइवेट लिमिटेड कर रही है जो चीन की कंपनी चाइना ओवरसीज पोर्ट होल्डिंग कंपनी लिमिटेड की सब्सिडयरी है। फाइनेंस के सिनेट पैनल की अध्यक्षता  कर रहे पाकिस्तान पिपुल्स पार्टी के नेता और मशहूर एडवोकेट फारूक एस नाइक ने कहा है कि इमरान सरकार को यह अधिकार हीं नहीं था कि चीन के साथ चुपचाप कोई समझौता करें और उसे बजट प्रोपोजल के जरिए चुपके से घुसेड़ दे।

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार केवल विपक्ष ही नहीं, सत्ताधारी तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) के सांसद भी इमरान सरकार के इस फैसले से हैरान हैं। पीटीआई के सिनेटर मोहसिन अज़ीज ने यह मांग की है कि सरकार ग्वादर पोर्ट और ग्वादर फ्री जोन से संबंधित जो समझाते चीन से हुए हैं उन्हें सरकार पहले सिनेट को उपलब्ध कराए। उन्होंने इमरान सरकार से पूछा कि आखिर किस तरह से 23 साल के कर छूट के पहले के फैसले के बदल कर 40 साल के लिए कर दिया गया है।
पाकिस्तान के सिनेटर यह कह रहे हैं कि सरकार ने चोरी छिपे यह समझौता पाकिस्तान के उपर थोप दिया है, क्योंकि इमरान सरकार सदन से इसे पास नहीं करा पाई। उसके पहले सरकार ने इस संबंध में एक अध्यादेश जारी किया था, जो अपने आप ही लैप्स हो गया, क्योंकि सिनेट में उसे पास नहीं कराया जा सका।
पाकिस्तान मीडिया के अनुसार पिछले साल अक्टूबर में ‘‘ दि सीपीईसी आॅथोरिटी आर्डिनेंस 2019 लाया गया था, जिसका मकसद ग्वादर पोर्ट को इनकम टैक्स, कस्टम डयूटी और जेटी चार्जेज से छूट प्रदान करना था, वह आर्डिनेंस पहले ही लैप्स हो चुका है।

फारूक नाइक का कहना है कि 40 साल के लिए टैक्स में छूट का मामला सविधान के आर्टिकल 73 के तहत आता है और इसके लिए सरकार को एक अलग विधेयक लेकर आना पड़ेगा। सरकार यह टैक्स छूट फाइनेंस बिल के जरिए नहीं प्रदान कर सकती, क्योंकि बजट या फाइनेंस बिल पर सिनेट में वोटिंग नहीं होती, इसलिए इमरान चुपके से इसे फाइनेंस बिल का पार्ट बना दिया है।
इमरान खान की सरकार ने जून 2020 से लेकर अगले 40 साल तक के लिए हर प्रकार के टैक्स या डयूटी से चीनी कंपनियों को मुक्त कर दिया है। पाकिस्तान के सिनेटर अब ठगा महसूस कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें लगता है कि चीन के साथ समझौते को अब बदलना उनके बूते की बात नहीं है। यदि वे इस फाइनेंस बिल पर बहस के दौरान कोई सुझाव भी देते हैं,तो उसे मानना सरकार के लिए जरूरी नहीं है।

पाकिस्तान के सिनेटर्स को इसमें कोई गहरी चाल लग रही है। क्योंकि मिलने वाला है, बल्कि उनके काॅन्ट्रैक्टर्स और सब काॅन्ट्रैक्टर्स को भी मिलने वाला है। पाकिस्तान सिनेट के सीनियर मेम्बर मोहसिन अजीज को डर है कि ग्वादर पर टैक्स व डयूटी फ्री माल आएगा और पाकिस्तान के बाजारों में पहुंच जाएगा, जिससे घरेलू निर्माताओं का काम बंद हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि चीन ने ग्वादर में वन बेल्ट वन रोड के तहत इस कमर्शियल पोर्ट का निर्माण किया है। यह पोर्ट भारत के लिए भी एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि इसके जरिए चीन भारत के काफी करीब होगा और साउथ एशिया व सेंट्रल एशिया में इस पोर्ट के जरिए अपना बिजनसे बढ़ाएगा।

पाकिस्तान और चीन के सामने खुद को कम्पीटिटिव बनाए रखने के लिए भारत ने इरान के साथ मिलकर इरान में ही चाबहार पोर्ट का निर्माण किया है। जिसका इस्तेमाल अफगानिस्तान भी कर रहा है। लेकिन यूएस और इरान के बीच चल रहे तनातनी के कारण इस पोर्ट को पूरी तरह चालू करने में कुछ दिक्कतंे आ रही हैं।

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