अपने यहां दहशतगर्दी खत्म होने और शांतिपूर्ण माहौल स्थापित करने के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान दावे का दम एक बार फिर निकल गया है। लाल मस्जिद पर अपदस्थ खतीब और पाकिस्तान में जिहादी तैयार करने वाले मौलाना अब्दुल अजीज का कब्जा और पेशावर में सैकड़ों स्कूली बच्चों की हत्या करने वाले आतंकवादी संगठन का नेता एहसानुल्लाह एहसान का पाकिस्तान के जेल से भाग जाना यह बताता है कि पाकिस्तानी व्यवस्था में अभी भी इस्लामिक चरमपंथियों और उनके समर्थकों का ही कब्जा है।
पिछले तीन दिनों से इस्लामाबाद स्थित लाल मस्जिद के बाहर मौलवी के समर्थकों और भारी पुलिस बल के बीच एक और बड़े टकराव की आशंका बनी हुई है। मौलाना अजीज ने पिछले दो हफ्तों से लाल मस्जिद पर कब्जा करके इमरान खान की सरकार को सीधे चुनौती दी है। मौलाना अजीज के साथ-साथ महिला छात्र भी अंदर ही हैं।
दूसरी तरफ पेशावर के आर्मी पब्लिक स्कूल में आतंकवादी हमला कर बच्चों को शहीद कर देने वाले आतंकवादी संगठन के प्रवक्ता एहसानुल्लाह एहसान के हिरासत से भागने की खबर के बाद शहीद बच्चों के माता-पिता और परिवार के सदस्यों ने पेशावर हाई कोर्ट में याचिका दायर की है जिसमें सेना प्रमुख, आईएसआई के महानिदेशक, साथ ही सेंट्रल और प्रांतीय सचिवों को पार्टी बनाया गया है और कहा गया है कि हाई कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बावजूद एहसानुल्लाह एहसान जैसे आतंकवादी को आलीशान घर मुहैया कराया गया और वहां से उसे भाग जाने दिया गया। यह अदालती आदेश का तौहीन है। पेशावर हाई कोर्ट ने अप्रैल 2018 में एहसान की रिहाई पर रोक लगा दी थी और कहा था कि जब तक कि संबंधित अदालत उसकी किस्मत का फैसला नहीं कर देती तब तक उसकी रिहाई न किया जाए। एहसान जेल से फरार होने के बाद टर्की में होने का दावा कर रहा है। उसने एक आडियो मैसेज में खुद दावा किया है कि ‘अल्लाह’ की मदद से वह आजाद हो गया है।
डॉन अखबार के अनुसार पुलिस ने मस्जिद के आसपास की सड़कों पर अवरोध और कंटीले तारों को लगाकर इस इलाके की घेराबंदी कर दी है। उधर मौलाना अजीज के समर्थन में लोग जुटने लगने लगे हैं और जिनमें कुछ महिलाएं मस्जिद की चारदीवारी के पास पहुंच कर नारे लगा रही हैं। मौलाना अजीज ने इमरान नेतृत्व वाली पीटीआई सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार पूर्व सैन्य शासक सेवानिवृत्त जनरल परवेज मुशर्रफ के शासन से भी बदतर है । मालूम हो कि जनरल परवेज मुशर्रफ के शासन काल में 2007 में इसी मौलाना और उनके आतंकवादी समर्थकों के खिलाफ एक सैन्य ऑपरेशन हुआ था जिसमें कम से कम 1000 लोगों के मारे जाने की खबर थी। हालांकि पाकिस्तान की सरकार ने उस समय मरने वालों की संख्या 300 बताई थी।
मौलाना अजीज यह दावा करते हैं कि उनका मासिक खर्च, 15 करोड़ रुपये से अधिक है जो पाकिस्तान और बाहर के मुल्क में बसे लोगों से प्राप्त करता है। मौलाना अजीज पर चीनी लोगों के अपहरण, हत्या और आतंवादी संगठन चलाने का मुकदमा दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में उसे सबूत ना मिलने के कारण छोड़ दिया गया था।
बिना मिलीभगत के मस्जिद पर अजीज का कब्जा कैसे हो गया इसका जवाब इमरान सरकार के पास नहीं है। जबकि मस्जिद में पूर्व खतीब मौलाना अब्दुल अजीज के प्रवेश पर तीन महीने का प्रतिबंध लगा हुआ है । खबर में एक अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि मौलाना अजीज की मांगों को लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि वह फिर से मस्जिद के खतीब बनना चाहते हैं।
यह वहीं मौलाना अब्दुल अजीज हैं जिनके खिलाफ 2007 में एक बड़ी सैन्य कार्रवाई की गई थी जिसमें अंदर छिपे आतंकवादियों के लाल मस्जिद से हटाने का अभियान चलाया गया था।