बांग्लादेश के सड़क परिवहन और पुल मंत्री ओबैदुल कादर का कहना है- हमले पूर्व नियोजित थे और उनके पीछे बुरी सांप्रदायिक ताकतें हैं’
बांग्लादेश में दुर्गा पूजा समारोह के दौरान हिंदू मंदिरों, मूर्तियों और संपत्तियों पर सांप्रदायिक हमले कोई अचानक नहीं हुए, बल्कि ये हमले सोंची समझी रणनीति के तहत किए गए और इन हमलों में अलकायदा तक की संलिप्तता है। यह बयान किसी और की नहीं , बल्कि बांग्लादेश के सड़क परिवहन और पुल मंत्री ओबैदुल कादर ने दिया है। उनका कहना है- हमले पूर्व नियोजित थे और उनके पीछे बुरी सांप्रदायिक ताकतें हैं’’ उन्होंने राजबाड़ी एएल की त्रैवार्षिक परिषद को संबोधित करते हुए यह कहा। हिंदुओं पर हमला करने वाले संगठनों ने यह अफवाह फैलाई कि कुछ हिंदुओं ने पवित्र कुरान को नीचा दिखाया।
बांग्लादेश के राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का भी कहना है कि पीड़ितों के लिए न्याय इसलिए नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हो रही है। बांग्लादेश में सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक हमलों की निंदा करने वाले पोस्टों की बाढ़ आ गई है। मुंशीगंज, किशोरगंज चांदपुर, चट्टोग्राम, नोआखली, सिलहट, मौलवीबाजार, कुरीग्राम और अन्य जिलों में हिंदू मूर्तियों, मंदिरों और हिंदुओं की दुकानों में जबर्दस्त तोड़फोड़ कट्टरपंथियों ने किया। कम से कम 80 अस्थायी मंदिरों पर हमला किया गया ।
अब सत्तारूढ़ अवामी लीग के महासचिव कादर ने कहा है कि निष्पक्ष जांच के जरिए दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। वर्कर्स पार्टी ऑफ बांग्लादेश ने भी ढाका शहर में एक रैली निकाल कर हमलावरों को तुरंत पकड़ने की मांग की, जबकि वरिष्ठ बीएनपी नेता मिर्जा अब्बास ने अल्पसंख्यक लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में विफल रहने के लिए पुलिस को दोषी ठहराया।
प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मुस्तोफा सरवर फारूकी ने अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट लिखकर हमलों में शामिल सभी को दंडित करने की मांग की। साथ ही यह भी कहा कि सबसे ज्यादा जरूरत इस बात की है कि सभी लोग इन घटनाओं की निंदा करें। सभी को अपने हिंदू दोस्तों और पड़ोसियों को बताना चाहिए कि आप अकेले नहीं हैं…।
लेकिन बांग्लादेश की सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती आतंकवादियों के फैलते नेटवर्क को तोड़ने की है। जिहादियों का बहुत बड़ा नेटवर्क सोशल साइट्स के जरिए बांग्लादेश के नौजवानों को भड़काने में लगे हैं।आतंकवादी जिहादी सामग्री को फैलाने के लिए वीपीएन और टोर ब्राउज़र का उपयोग धड़लले से कर रहे है। कानून व प्रवर्तन एजेंसियां नकली खाते के जरिए जिहाद के टिप्स पोस्ट करने वालों पर अंकुश नहीं लगा पा रही हैं। बांग्लादेश में आतंकवादी अल कायदा की विचारधारा को सफलतापूर्वक बढ़ा रहे हैं।
अल कायदा और इस्लामिक स्टेट (आईएस) की विचारधारा को बढ़ावा देने के लिए बांग्लादेशियों द्वारा फर्जी और असली फेसबुक अकाउंट देश और विदेश से खूब चलाए जा रहे हैं। इसके अलावा, कई आईपी, वेबसाइट, फ़ोरम, ब्लॉग और मैसेजिंग प्लेटफॉर्म भी हैं, जो बांग्लादेश और अन्य जगहों पर अल्लाह के शासन को स्थापित करने के लिए जिहाद के झंडे के नीचे युवाओं को आकर्षित करने और उन्हें बुलाने के उद्देश्य से बांग्ला में सामग्री भेज रहे हैं।
चरमपंथी समूहों द्वारा के अपने आईपी के जरिए गजवतुल हिंद चलाया जा रहा है। बांग्लादेश में यह धार्मिक, कट्टरपंथी और जिहादी सामग्री का सबसे बड़ा खजाना है। हर आतंकी प्लेटफॉर्म की तरह गजवतुल हिंद भी सैकड़ों अन्य प्लेटफार्मों के साथ लिंक साझा करता है जो सक्रिय रूप से कट्टरपंथी विचारधारा फैला रहे हैं। उनमें से एक है मुवाहदीदुन, एक ब्लॉग जहां ऑनलाइन जिहाद में शामिल होने के इच्छुक लोगों के लिए मार्गदर्शन दिया जाता है। यह साइट लोन वूल्फ यानी अकेले आतंक फैलाने का तरीका भी बताता है। फोरम में 32 मीडिया प्लेटफॉर्म के लिंक हैं जो बांग्लादेश और अन्य जगहों पर विभिन्न आतंकवादी और जिहादी समूहों द्वारा चलाए जा रहे हैं। इन प्लेटफॉर्मों पर उन बांग्लादेशी कट्टरपंथियों की सूची दी गई है और उनका महिमा मंडन किया गया है जो 1980 के दशक में सोवियत सैनिकों से लड़ते हुए अफगानिस्तान में मारे गए थे। एक नोट में लिखा गया कि जल्दी की उन बांग्लादेशियों के नाम उजागर किए जाएंगे जो अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ अफगानिस्तान में लड़े और मारे गए। ,
आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने वाले अलफिरदौस में एक लेख प्रकाशित किया गया है, जिसमें यह बताया गया है कि कैसे पूर्वी अफ्रीका में अल कायदा समर्थित जिहादी समूह अल शबाब के मुजाहिदीनों ने युगांडा के सैनिकों से जूझ रहे क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। 2019 के मध्य में आइसलैंड से लॉन्च किया गया यह साइट विभिन्न देशों में रहने वाले बांग्लादेशियों के एक समूह द्वारा संचालित की जा रही है और देश में इसके पाठकों की अच्छी संख्या है।
बांग्लादेश के साइबर सुरक्षा विश्लेषक तनवीर हसन का कहना है कि यहां सैकड़ों प्लेटफ़ॉर्म इन महामारी के समय में पॉप अप हुए और चरमपंथियों की एक नई पीढ़ी को जन्म दे रहे हैं,” जबकि इन पर निगरानी रखने और इनके कुप्रचार का मुकाबला करने के लिए कोई आधिकारिक मंच नहीं है। एजेंसियां ऑनलाइन कट्टरपंथी गतिविधियों के विशाल समूह पर नज़र रखने और उनपर अंकुश लगाने में सक्षम नहीं हैं। बांग्लादेश के काउंटर टेररिज़्म एंड ट्रांसनेशनल क्राइम (सीटीटीसी) के उपायुक्त अब्दुल मन्नान भी लाचारी व्यक्त करते हैं। उनका भी यही कहना है कि प्रत्येक प्लेटफ़ॉर्म को हटा दिया जाता है लेकिन कई और पॉप अप हो जाते हैं। “हम प्लेटफॉर्म को ट्रैक और शटडाउन करते हैं लेकिन तथ्य यह है कि कट्टरपंथी एक प्लेटफॉर्म में लंबे समय तक नहीं रहते हैं। वे नई खिड़कियां खोलते हैं और वहां शिफ्ट हो जाते हैं.